सद्गुरु जग्गी वासुदेव की जीवनी हिन्दी मे । Sadhguru Jaggi Vasudev Biography In Hindi

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आज के इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं सद्गुरु जग्गी वासुदेव के जीवन परिचय के बारे में, हम इस पोस्ट में आपको Sadhguru Jaggi Vasudev Biography, Jivani, Family, Education की शुरूआत के बारे में इस पोस्ट में आपको बताएंगे।

Sadhguru Jaggi Vasudev Biography And Wiki

नाम जग्गी वासुदेव
जन्म 3 सितम्बर 1957
जन्म स्थान मैसूर कर्नाटका
उपनाम सद्गुरु
उम्र 63
पैशा लेखक, योग गुरु
शौक लिखना , पेड़ लगाना, घूमना
School नही पता
collage मैसूर विश्वविद्यालय
पिता डॉ वासुदेव (ओप्थाल्मोलॉजिस्ट)
माता  सुशीला वासुदेव
पत्नी विजया कुमारी
योग गुरु श्री राघवेंद्र राव
वैवाहिक स्थति वैवाहित
धर्म हिन्दू
नागरिकता भारतीय
अवार्ड पदम विभूषण 2017
कमाई महिना नही पता
सद्गुरु जीवन परिचय

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Sadhguru Jaggi Vasudev Biography

अपने विचारों से लाखो  लोगों की जिंदगी बदलने वाले सद्गुरु को जब बोलते हुए  जो भी सुनता है वह उन्हें और सुनने की चाहत रखता है इन्होंने अपनी ईशा फाउंडेशन की मदद से न जाने कितने लोगों की जिंदगी को बदला है। 

अगर आप यह पोस्ट पढ़ रहे हैं तो कहीं ना कहीं आप सद्गुरु को जानते ही होंगे अगर नहीं जानते हैं तो मैं आपको बता दूं “सद्गुरु ईशा फाउंडेशन के संस्थापक एक योग गुरु और लेखक है” सद्गुरु की ईशा फाउंडेशन संस्था नॉनप्रॉफिट एबल है जो पूरे विश्व में योग सिखाने का काम करती है सद्गुरु  पूरे विश्व में अलग-अलग देशों में बड़े-बड़े कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को आध्यात्मिक जीवन और योग के बारे में जानकारी देते हैं। 

  सद्गुरु को हम “अध्यात्मिक गुरु मोटिवेशनल स्पीकर” के रूप में भी देख सकते हैं क्योंकि जब भी यह कभी कोई प्रोग्राम करते हैं तो लाखों की संख्या में लोग इनकी कार्यक्रमों में शामिल होते हैं  सद्गुरु के यूट्यूब पर भी कई चैनल है जो अलग-अलग भाषाओं में इनकी वीडियो को ट्रांसलेट करके लोगों तक पहुंचाते हैं सद्गुरु अनेक भाषाओं के ज्ञाता है।  

सोशल मीडिया पर  सद्गुरु के लाखों में फैन फॉलोइंग है और इनका ईशा फाउंडेशन लोगों की मदद करता है योग सिखाने में तथा इनका ईशा फाउंडेशन पूरे विश्व में अलग-अलग देशों में कई बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित करवाता है और लोगों को योग का महत्व समझाते हैं तथा योग  का अभ्यास कराते हैं।  

सद्गुरु एक  महान लेखक भी हैं इन्होंने कई कहानियां लिखी तथा  सद्गुरु ने कई किताबें भी लिखी है उन्होंने लोगों को जिंदगी जीने के नए  तरीके बताएं लोगों के सभी प्रकार के प्रश्नों के जवाब दिए, बड़े ही सरल और सहज तरीके से जबाव  देते हैं सद्गुरु के भारत में कई जगह पर आश्रम बने हुए हैं जिसमें यह लोगों को योग के बारे में शिक्षा देते हैं   ईशा कौन है? जैसे सवाल उनके पास हमेशा आते हैं। 

 सद्गुरु को आप कहीं ना कहीं यूट्यूब वीडियो के माध्यम से सुनते होंगे या फिर आपने कहीं ना कहीं इनके बारे में सुना होगा, लेकिन इनके संपूर्ण जीवन के बारे में बहुत कम लोगों को पता है जिसमें आप सभी लोगों के कई सवाल हो सकते हैं जैसे सद्गुरु कौन हैं? सद्गुरु के आश्रम का क्या नाम है? सद्गुरु का जन्म कहां हुआ?  इनका बचपन कहां बीता?   सद्गुरु के परिवार में कौन-कौन है?  सद्गुरु ने कौन सी किताब लिखी?  तथा उनके आश्रम की फीस क्या है?  ऐसे सवाल आपके मन में भी होगे। 

 आज हम आपको सद्गुरु के संपूर्ण जीवन परिचय के बारे में आपको इस पोस्ट में बताने वाले हैं जिसे आप पूरे ध्यान से पढ़ेगे  तो आपको उनके बचपन से लेकर आज तक के जीवन परिचय के बारे में सारी जानकारी प्राप्त हो जाएगी। 

Sadhguru Jaggi Vasudev Birth, Place, Family, Education

सद्गुरु का असली नाम सद्गुरु जग्गी वासुदेव उनके बचपन का नाम जगदीश है सद्गुरु का जन्म 3 सितंबर 1957 को मैसूर कर्नाटक में हुआ।   जग्गी वासुदेव एक लेखक भी हैं जिन्होंने 100 से भी ज्यादा पुस्तकें लिखी है इन्हें भारत सरकार की तरफ से 2017 में पदम विभूषण अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।  

 जग्गी वासुदेव कि एक  लाभ रहित संस्था भी है जिसका नाम ईशा फाउंडेशन है यह संस्था मानव सेवा में तथा योग सिखाने में काम कर रही हैं यह संस्था विश्व के कई देशों में काम करती है जिसमें प्रमुख रुप से अमेरिका सिंगापुर इंग्लैंड लेबनान ऑस्ट्रेलिया में योग सिखाने का काम कर रही है । 

इनके पिता भारतीय रेलवे में नेत्र विशेषज्ञ के रूप में काम करते थे  सद्गुरु की एक भाई और दो बहने हैं

जग्गी वासुदेव ने 1984 में विजय कुमारी से विवाह किया 1997 में इनकी पत्नी का देहांत हो गया।   इनके पुत्री  है इनका राम राधे है। 
 इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद मैसूर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातक की डिग्री हासिल की।

Sadhguru Jaggi Vasudev Journey

जग्गी वासुदेव का जन्म कर्नाटक के मैसूर शहर में हुआ यह अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे इनके परिवार में इनके माता-पिता थे इनके पिताजी भारतीय रेलवे में काम करते थे इस वजह से उनका एक स्थान से दूसरे स्थान पर आना जाना रहता था इस कारण भी अलग-अलग जगहों पर हमेशा रहते थे क्योंकि जॉब में उनका समय-समय पर तबादला हो जाता था।  

सद्गुरु बचपन से ही अलग तरह  के व्यक्ति थे यह किसी भी वस्तु को जब देखते थे तो उसे एकटक देखते ही रहते थे और उनकी आंखों से आंसू गिरते रहते थे।  जैसे की जब उनको कोई पानी पीने को देते थे तो जग्गी वासुदेव  उस पानी को एक नजर से देखते थे की पानी है क्या, हालकी उन्हे पता होता है की पानी पिया जाता ही लेकिन जग्गी वासुदेव  ये जानना चाहते थे की पानी आखिर है क्या चीज जिसे पीने से प्यास बुझता है। 

 जग्गी वासुदेव सद्गुरु किसी भी चीज को देखते थे तो वह उस मे  पूरी तरीके से खो जाते थे और  अपने पूरे ध्यान के साथ उसको देखा करते थे जग्गी वासुदेव जिस चीज  को देखते उस चीज को कई  घंटे तक लगातार  देखते रहते थे जिस कारण इनके परिवार में सभी को इनकी चिंता होने लगी, इनके पिताजी को लगने लगा कि इन्हें किसी मानसिक विशेषज्ञ के पास दिखाना चाहिए। 

इसी तरीके से धीरे-धीरे सद्गुरु 10 साल के हो गए और उस समय एक योगा गुरु से मिलवाया गया।  इसे इन्होंने योगा सीखा, जिससे इनका मन काफी शांत रहने लगा और इनके जीवन में नई-नई बदलाव आने शुरू हो गए।  इनके योग गुरु का नाम  राघवेंद्र राव था जो जग्गी वासुदेव को योग सिखाने का काम करते थे जग्गी वासुदेव  ने लगातार योग का  अभ्यास करके इसमें महारत हासिल कर ली। 

 इसके अलावा सद्गुरु जग्गी वासुदेव बचपन में अधिकतर समय जंगलों में बिताया करते थे वे पेड़ों पर बैठकर हवा का आनंद लेते थे तथा प्रकृति को निहारते रहते थे सद्गुरु को बचपन में सांप पकड़ने का काफी ज्यादा शौक था जिस कारण यह जब भी जंगल से वापस घर आते तो इनकी झोली में बहुत सारे सांप होते थे उन्हें अकेले में रहने से आनंद की अनुभूति होती थी और कई बार ध्यान में बैठ जाते थे तो घंटों तक ध्यान में ही बैठे रहते थे । 

इसके बाद जब  सद्गुरु जग्गी वासुदेव  14 साल के हुई तो  इन्होंने क्लाइमिक क्लब को ज्वाइन किया।  सद्गुरु यहा  पर एक आर्मी ऑफिसर से काफी ज्यादा प्रभावित हुए और उन्होंने आर्मी जॉइन करने के लिए  रिटन एग्जाम तो दिया परंतु रियल एग्जाम नहीं दिया और यह वापस अपने घर आ गए।  

उसके बाद  सद्गुरु जग्गी वासुदेव  ने पूरे दक्षिणी भारत का यात्रा की और भारत के लोगों, संस्कृति को समझने का प्रयास किया, क्योंकि इन्हे ऐसा लगता था अगर उन्हे सवालों के जवाब चाहिए तो इन्हें यात्रा करनी होगी। 

 सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने  अपनी यात्रा साइकिल से की, परंतु बाद में उन्होंने एक बाइक खरीद ली और पूरे भारत की यात्रा की।  इन्हें बचपन से ही बाइक चलाने का काफी ज्यादा शौक था और आज भी  इनके घर नई से नई बाइक खड़ी  रहती है। 

 सद्गुरु जग्गी वासुदेव  ने उसके बाद5 साल मे  पूरी भारत की यात्रा की।  यह किसी भी गांव किसी भी शहर में रुक जाते थे और वहां के लोगों को बहुत नजदीक से समझते थे   ऐसा करने से उनके मन के सारे सवालों का जवाब उन्हें मिल जाता था और इन्हें काफी ज्यादा प्रसन्नता होती थी।  

भारत के भिन्न-भिन्न स्थानों पर घूमने के बाद जब  सद्गुरु जग्गी वासुदेव को लगा कि अगर उन्हें संपूर्ण भारत की यात्रा करनी है तो उन्हें पैसों की जरूरत होगी इसलिए वह वापस अपने गाव आ गए और वहां बिज़नस शुरू किया, जो कुछ ही समय में सफलता के शिखर पर पहुंच गया।  

लगभग 6 वर्ष तक इस बिजनेस को किया, उसके बाद एक बार मैसूर में ही एक प्रसिद्ध चामुंडा पहाड़ी पर घूमने के लिए गए,  जहा  कुछ समय के लिए ध्यान में मगन हो गए, परंतु इन्हें यह ध्यान नहीं रहा कि कितने समय तक ध्यान में है घंटों बीत जाने के बाद भी  सद्गुरु जग्गी वासुदेव  को  लगा कि यह कुछ ही मिनटों के लिए ध्यान में मग्न थे परंतु 5 से 6 घंटे तक लगातार ध्यान में मग्न रहे। 

कुछ विडियो मे ऐसा भी कहा जाता है की ये 13 दिन तक ध्यान मे मग्न रहे। 

तब कुछ आसपास के लोगों ने यह देखकर  इन्हें एक आध्यात्मिक पुरुष के रूप में देखना शुरू कर दिया और तरह-तरह के सवाल उनके सामने रखे,  जिनसे ये  हमेशा दूर रहना चाहते थे । 

इसके बाद इन्होंने अपना सारा कारोबार अपने दोस्त को सौंप कर फिर से भारत की यात्रा पर निकल गए। इसके बाद  सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने  लोगों को योग सिखाने का भी काम शुरू कर दिया और एक योगा टीचर के रूप में अपनी पहचान बनाना शुरू किया।  

ईशा फाउंडेशन की शुरुआत 

जब   सद्गुरु जग्गी वासुदेव भारत भ्रमण पर घूम रहे थे तो यह जगह जगह पर लोगों को योग सिखाने का काम करते थे इसी बीच उन्होंने 1992 मे ईशा फाउंडेशन की नींव रखी।  यह संस्था लाभरहित थी जो लोगों की मदद करने का काम करती है इसमें यह सामाजिक काम करने के साथ-साथ  प्राकृतिक धरोहर की भी सुरक्षा करती है इनका लक्ष्य 16 करोड वृक्ष लगाने का है तथा हाल ही में उन्होंने तमिलनाडु में 8.52 लाख पेड़  लगाकर गिनेस बुक में अपना वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज करवाया है।  

ईशा फाउंडेशन में 2.5 लाख से भी ज्यादा लोग काम करते हैं ईशा फाउंडेशन का मुख्यालय कोयंबटूर है   सद्गुरु जग्गी वासुदेव  योग सिखाते हैं पर्यावरण सुरक्षा के लिए ईशा फाउंडेशन को वर्ष 2008 में इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया इसके अलावा वर्ष 2017 मे  पदम विभूषण अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।  

अभी ईशा फाउंडेशन का प्रमुख लक्ष्य पेड़ लगाने के साथ-साथ नदियों को सुरक्षा प्रदान करने का भी है जिसमें यह बहुत बड़ा अभियान चला रहे हैं सोशल मीडिया के माध्यम से लाखों लोग इनके इस अभियान में सहयोग कर रहे हैं। 

सभी को अपनी संस्था के माध्यम से लोगों को योग की शिक्षा देते हैं तथा योग सिखाते हैं यहा  हजारों नहीं लाखों लोग आते हैं और अपने जीवन में आध्यात्मिक अनुभव के लिए योग की शिक्षा प्राप्त करते हैं और निरंतर प्रयास करके अपने मन में उठ रहे सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं लोगों को स्वास्थ्य मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग के बारे में लगातार जग्गी वासुदेव सद्गुरु भारत देश में नहीं अपितु पूरे विश्व में कार्यक्रम आयोजित करते हैं। 

112 फुट आदियोगी शिव प्रतिमा


2017 में, भारत के वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा डिज़ाइन किए गए, 112 फुट आदियोगी शिव प्रतिमा का उद्घाटनईशा योग केंद्र में किया था। यहां पर महाशिवरात्रि के दिन लाखों की संख्या में लोग इकट्ठे होते हैं और कार्यक्रम में शामिल होते हैं।

Sadhguru Jaggi Vasudev Achievement

 सद्गुरु जग्गी वासुदेव कई सारी उपलब्धियों से नवाजा गया है उन्होंने तमिलनाडु में 852000 पेड़  लगा कर गिनीज बुक में अपना वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। 

इसके अलावा भी वर्ष 2008 में इंदिरा गांधी पर्यावरण सुरक्षा पुरस्कार भी दिया गया है। 

 2017 में इन्हें सामाजिक कार्य और मानव सेवा के लिए पदम विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।  

1993 में ईशा फाउंडेशन से लाखो लोगों को योग सिखाने का रिकॉर्ड भी इनके पास है। 

 सद्गुरु जग्गी वासुदेव की संपति 


 सद्गुरु जग्गी वासुदेव के पास कई महंगी गाड़ी है इन्हे बचपन से ही बाइक चलाने का शौक था जिस कारण आज भी इनके पास एक से एक बाइक है, इसके अलावा इनके पास और भी गाड़ी है।

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