लोकदेवता सिद्ध श्री खेमा बाबा का जीवन-परिचय | Siddha Shree Khema Baba Jivani Biography Hindi

Khema Baba

साँपों के सिद्ध लोक देवता सिद्ध पुरुष खेमा बाबा को पश्चिमी राजस्थान में पूजा जाता है Khema Baba को अपनी चमत्कारी सिद्ध शक्तियों के कारण पश्चिमी राजस्थान के मारवाड़ का मालाणी क्षेत्र में इनके मंदिर है अपने जीवन में भगवन शंकर की तपस्या के बल पर कई सिद्धियां हासिल कर जन कल्याण के कार्य किए तथा दुखी जनमानस का उद्धार कर लोगों की सेवा की। 

सिद्ध खेमा बाबा का जन्म धारणा धोरा में तथा समाधि बायतु में बनी हुई है जहां पर लाखों की संख्या में लोग आकर दर्शन करते हैं। यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि मेला भरता है।

आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे मारवाड़ के लोकदेवता सिद्ध श्री खेमा बाबा की जीवनी, इतिहास, चमत्कार के बारे में बताएंगे।

Siddha Shree Khema Baba Biography in Hindi

पूरा नामखेमा बाबा
उपाधियासिद्ध खेमा बाबा
जन्मविक्रम संवत 1932 फाल्गुन वदी छठ
समाधिविक्रम संवत 1989 फाल्गुन सुदी 5
जन्म स्थानधारणा धोरा-बायतु बाड़मेर
जातिजाखड-जाट
धर्महिन्दू

        सिद्ध खेमा बाबा के पिताजी के बारे में

नारोजी किसान जाट जाखड़ राजस्थान के जोधपुर जिले के ओसियां के पास नेवरा गांव में रहते थे। विक्रम संवत 1882 में नारोजी ओसियां से पुरे परिवार के साथ बाड़मेर जिले की बायतु तहसील में आकर यहां पर रहने लगे थे। विक्रम संवत 1892 को बायतु में नारोजी के घर देवउठनी एकादशी को पुत्र कानाराम का जन्म हुआ। कानाराम जी धर्म प्रेमी व्यक्ति थे जो हमेशा अपने इष्ट देव बिग्गाजी महाराज, गोसाई जी महाराज और पीथल भवानी का पूजा पाठ करते थे। कानाराम जी का विवाह बायतु चिमनजी निवासी फताराम जी गुजर की सुपुत्री रूपांदे के साथ विक्रम संवत् 1913 की माघ सुदी 5 को सम्पन्न हुआ।

सिद्ध श्री खेमा बाबा का जन्म और ब्याव

बाड़मेर के बायतु शहर के रेलवे स्टेशन से मात्र 6 किलोमीटर दक्षिण दिशा में धारणा धोरा में कानाराम के घर विक्रम संवत 1932 फाल्गुन वदी छठ सोमवार को सिद्ध श्री खेमा बाबा का जन्म हुआ इनका नाम खेमाराम रखा गया तथा बचपन से ही देव रूपी Khema Baba का मन भक्ति में रम गया। थोड़ा बड़ा होने पर खेमाराम को गाय चराने का काम दे दिया गया खेमाराम गाय चराते और भक्ति में लीन रहते हैं।

Khema Baba की भक्ती भावना को देखते हुए घरवालों ने जल्दी ही विक्रम संवत 1958 में आसोज सुदी आठम शुक्रवार को गांव नोसर निवासी पिथा राम जी माचरा की सुपुत्री वीरों देवी के साथ शादी करवा दी थी। आपके एक मात्र पुत्री नेनीबाई पैदा हुई।

पिता का नामश्री कानाराम जी
माता का नामश्रीमती रूपांदे
पत्नी का नामश्रीमती वीरों देवी

सिद्ध श्री खेमा बाबा की तपस्या और सिद्धियां

अकाल की स्थिति में Khema Baba दूर-दूर गए सर आने के लिए जाते थे जिस कारण एक बार यह सिणधरी के गोयणा भाखर  पर गाय सर आ रही थी तो इन्हें वहां पर एक साथ दो मिले उनसे इन्होंने ज्ञान प्राप्त किया और भगवान शंकर की कठोर तपस्या की जिस कारण भगवान शंकर प्रकट हुए और इन्हें कई सारी सिद्धियां प्रदान की उसके बाद गूदड़ गद्दी के रामनाथ खेड़ापा से संवत 1961 में खेमसिद्ध ने उपदेश लेकर दीक्षा ग्रहण की।

सिणधरी से भक्ति करने के बाद शिव खेमा बाबा बायतु के भीमजी स्थित धारणा  धोरे  पर तपस्या की। यही पर कुटीया बनाकर रहने लगे।

खेमा बाबा हमेशा हाथ में कुल्हाड़ी और लोवड़ी (ऊन की कम्बल) पास रखते थे। एक दिन कतरियासर की फेरी बायतु की तरफ आई हुई थी तो रात में जागरण जसनाथ सिद्ध का शब्द गायन सुनकर Khema Baba भी वहा चलें गए। उस फेरी में परमहस मण्डली के साधु रामनाथ जी महाराज थे। राम नाथ जी महाराज ज्ञानी पुरुष थे जिसको बेदाग एवं पिंगल शास्त्र का अच्छा ज्ञान था। संस्कृत में शिक्षा प्राप्त की हुई थी। अग्नि नृत्य भी हुआ तब रामनाथ जी ने खेमा बाबा को कहा खेमाराम जी अब आप भी कुछ सिद्धियां दिखाओ! खेमा राम ने जसनाथी जागरण पुरे धुणे को अपनी लोवड़ी (ऊन की कम्बल) में समेट लिया, तब रामनाथ जी ने कहा क्या खेमा सिद्ध हों गया, गुरुजी आप कहो तो सिद्ध ही हु, वाह खेमाराम आज के बाद तुम Khema Baba नहीं खेम सिद्ध के नाम से जाने जाओगे। फिर खेमा सिद्ध ने गुरु रामनाथ जी महाराज से गुरु मंत्र लेकर आशीर्वाद प्राप्त किया और अनेकों-अनेकों प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हुई।

सिद्ध श्री खेमा बाबा के चमत्कार

धीरे-धीरे खेमा बाबा की प्रसिद्धि चारों ओर फैलने लगी और खेमा बाबा ने अनेक चमत्कार सिद्धियां दिखानी शुरू कर दी। 

  • खेमा बाबा ने लालाराम जी ज्याणी की मरी हुई टोगड़ी (गाय की बछड़ी) को जीवित किया
  • गिगाई से गोगाजी की मूर्ति लाकर बायतु में स्थापित की, पीछे वार आ गई वार को अंधा कर दिया माफी मांगने पर ठीक कर दिया
  • अरणे  का ढाई पान खिलाकर विरधाराम जी का दमा रोग ठीक करना
  • कोसला रामजी को सर्प काटा उसका इलाज राबड़ी लगाकर किया
  • गंगा रबारी को वचन देकर गंग तालाब गांव सरणू में बनवाया
  • शंकर लाल बाबू को पुत्र की प्राप्ति का आशीर्वाद दिया
  • धर्म चंद ओसवाल को झूठे दावे पर सर्प का चमत्कार दिखा
  • गांव सिणधरी के चारण जाति के कोढी की कोढ झाड़ी
  • गांव भाड़खा में कोढी की कोढ झाड़ी
  • जाणी चुतरा राम जी अनुपोणी  को रात्रि में दर्शन देकर अनेकों प्रकार की सिद्धियां बताई।
  • बायतु भीमजी निवासी हेमाराम दर्जी को दर्शन दिया
  • सिणधरी के नदी किनारे सुखी खेजड़ी को हरा कर दिया
  • समाधि के तीन दिन बाद धोलीडाग मालवा के सेठ श्रीचंद के पुत्र को जिंदा किया
  • ठाकर चनणसिह को सर्प और बिच्छू का चमत्कार दिखाया आदि 

भक्तों को सर्प नाग बिच्छू अनेक जहरीले जीवों को काटने पर जो भी खेमा बाबा के शरण में आया उनके नाम की तांती बांधी वो जरूर ठीक हुआ है।

सिद्ध श्री खेमा बाबा की समाधि

सिद्ध खेमा बाबा एक महान महापुरुष थे। लोग भगवान शिव भोलेनाथ के अवतार के रूप में पूजते है। सती विरो देवी का स्वर्गवास होने पर जसनाथी परम्परा को मानकर बायतु में समाधी दी गई। 

एक दिन सिद्ध खेमा बाबा गुरु गोरखनाथ नाथ जी एवं जसनाथ जी महाराज के दर्शन करने के लिए महेगाणी मुंडो की ढाणी आए। दर्शन कर खेजड़ी के नीचे आराम किया। उसके बाद मुढो के घरों से राबड़ी मंगाई,  राबड़ी पीकर कहा मैं संसार छोड़ रहा हु, मेरी समाधि गोगाजी  मंदिर के पास देना।  यह कहकर  हर-हर भोले ओम नमः शिवाय का जाप जपकर स्वर्ग वासी हो गए।  विक्रम संवत 1989 फाल्गुन सुदी 5 को समाधि दी गई।

बाड़मेर जिले के बायतु कस्बे में स्थित Khema Baba के मंदिर में माघ माह के शुक्ल पक्ष में नवमी को मेला भरता है। दूसरा मेला भादवा माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को भी मेला लगता है। इन मेलों में ग्रामीणों का अपार सैलाब उमड़ पड़ता है। खेमा बाबा के बारे में कहा जाता है कि उनको गोगाजी का वरदान प्राप्त है, जिससे खेमा बाबा की श्रद्धा से सांप तथा बिच्छू का काटा ठीक हो जाता है।

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