आज के इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं प्रतापपुरी जी महाराज के जीवन परिचय के बारे में, हम इस पोस्ट में आपको Pratap Puri ji Maharaj Biography, Jivani, Family, Education, Career, की शुरूआत के बारे में बताएंगे।
Pratap Puri ji Maharaj Biography And Wiki
Full Name ( पूरा नाम ) | Pratappuri ji maharaj |
NickName ( बचपन का नाम ) | Pratap |
Birth ( जन्म ) | 14 April 964 |
BirthPlace ( जन्म स्थान ) | Mahabar-Barmer |
Profession ( व्यवसाय ) | spiritual saint |
Pratap Puri ji Maharaj Social Media Accout
Social Media Name | User ID |
Website | https://mahantpratappuri.in/ |
pratappurijimaharaj | |
@pratappurijimaharaj | |
YouTube | Pratap puri Maharaj |
@pratappurijimaharaj |
Pratap Puri ji Maharaj Biography
भारत की भूमि देवभूमि कहलाती है इस भूमि पर समय-समय पर कई देवताओं और संतों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए काम किया। संत महात्माओं ने इस भारत की भूमि पर धर्म की ध्वजा को सदैव लहराए रखा तथा इसकी रक्षा के लिए और अपनी संस्कृति के लिए लोगों को जागृत करने का काम करते रहे।
आज की इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसे ही महान संत के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने अपने धर्म की रक्षा के लिए भक्ति के मार्ग के साथ-साथ राजनीति में भी अपनी पहचान कायम की। मैं बात कर रहा हूं महंत प्रताप पुरी जी महाराज की, जो राजस्थान के बाड़मेर के तारातरा मठ के प्रमुख हैं इन्होंने पोकरण विधानसभा क्षेत्र से राजनीति में भी चुनाव लड़ने का काम किया।
महंत स्वामी प्रताप पुरी जी एक भारतीय आध्यात्मिक नेता और राजनीतिज्ञ हैं जो कि तारातारा मठ के वर्तमान प्रमुख हैं। वह भारत के पश्चिमी राजस्थान में बाड़मेर जिले के महाबार गाँव के निवासी हैं। वह सोशल मीडिया में बहुत सक्रिय है।
Pratap Puri ji Maharaj Birth, Place, Family
महंत प्रताप पुरी जी महाराज का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले से 10 किलोमीटर दक्षिण में महाबार गांव में विक्रम संवत 2021 चैत्र शुक्ला द्वितीया को मंगलवार के दिन हुआ, उनके पिता जी का नाम बलवंत सिंह जी था तथा उनकी माता का नाम हरकुँवर था।
Father ( पिता ) | बलवंत सिंह जी |
Mother ( माता ) | हरकुँवर |
Pratap Puri ji Maharaj Education, Qualification
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लीलसर गांव और बाड़मेर में पूरी की। उन्होंने हरियाणा में चेशायर जिले के गुरुकुल से शास्त्र खंड में अपनी प्रमुख शिक्षा प्राप्त की। उन्हें उनके माता-पिता ने बहुत कम उम्र में उनके गुरु मोहन पुरी जी को सौंप दिया था। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और सनातन हिंदू धर्म के लिए ध्यान और काम करने में खुद को समर्पित कर दिया। उनके भाषण सोशल मीडिया पर सामाजिक एकता, महिला सशक्तिकरण और वैज्ञानिक मानसिकता की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।
School ( स्कूल ) | Barmer |
College ( कॉलेज ) | Hariyana |
Degree ( डिग्री ) | N/A |
महंत प्रताप पूरी जी महाराज तारातरा मठ कैसे आए और भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़े
प्रताप पुरी जी महाराज के जीवन की कहानी कुछ इस तरीके से शुरू होती है जब ये अपने माता के गर्भ में थे तब इनके माता जी को पागल कुत्ते ने काट लिया था लेकिन इनके माताजी ने अपने परिवार को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी ढाई दिन बाद जब प्रताप पुरी जी महाराज के माता जी के शरीर में रेबीज के कीटाणु फैल गए, तो वह पागलों की तरह हरकतें करने लग गई थोड़ी टाइम बाद में वो अपने घर से भागकर गांव के बाहर जाने लगी, तो बीच रास्ते में वह नीचे गिर गई।
इनके परिवार वाली इनके पीछे पीछे जा रहे थे लेकिन तभी वहां पर कुछ लोगों ने उनको नीचे गिरे हुआ देखा तो उन्होंने तुरंत पानी लाया और पिलाने के लिए जैसे ही आगे किया, तो लोगों ने देखा कि उनके मुंह से झाग निकल रहा था तो लोगों ने सोच क्या हुआ किसी ने सोचा कि शायद कुत्ते ने काट लिया है इसीलिए झाग निकल रहे हैं लोगों ने उनसे पूछा कि क्या आपको कुत्ते ने काटा है तो उन्होंने कहा की हा मुझे कुते ने काट लिया है इस पर सारे परिवार वाले अचंभित हो गए की अब क्या किया जाए।
क्योंकि उस समय इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था रैबिट का दूसरा नाम ही मौत था फिर भी कुछ लोगों ने बताया कि आप इन्हें तारातरा मठ लेकर चले जाएं, वहाँ पर मोहनपुरी जी महाराज सब ठीक कर लेंगे।
तब उनके परिवार वाले उन्हें तारातरा मठ लेकर गये तो इनके परिवार वालों ने मोहन पुरी जी महाराज को पूरी घटना बताई और विनती करने लगे कि इन्हें बचा लीजिए। अब सब आपके ऊपर है या तो बचाओ या मरो।
तब मोहन पुरी जी महाराज ने अपनी मातृभाषा मारवाड़ी में कहा करे “करे म्हारो गुरु कई कुनी होवेला, लड़कों होवेला ओर म्हारो चेलो बना दीजो और थारो नाम करेला ओर मारो काम करेला।”
महाराज मोहनपुरी जी के मुख से निकले हुए शब्द सत्य सिद्ध हुए और कुछ ही समय बाद बलवंत सिंह जी के घर में PratapPuri ji Maharaj का जन्म हुआ, जन्म के समय प्रताप पुरी जी काफी हष्ट पुष्ट और हंसमुख स्वभाव के थे चहरे पर एक जबरदस्त तेज था।
कुछ समय Pratap Puri ji Maharaj अपने परिवार में अपनी माता जी के साथ ही रहे, उसके बाद इनकी प्राथमिक शिक्षा तारातरा मठ में ही मोहन पुरी जी महाराज के सानिध्य में शुरू हो गयी।
यहां पर पढ़ाई करने के बाद इन्हें स्कूल में शिक्षा के लिए भेज दिया गया, जहां पर यह हमेशा पहले नंबर पर आते थे तो कुछ लोगों ने कहा कि यह तो लोग आप से डरते हैं इसलिए इन्हें पहले नंबर पर रखते हैं परंतु इसके बाद मोहन पुरी जी ने प्रताप पुरी जी को बाड़मेर के अलग-अलग स्कूलों में भेजा था पर वहाँ भी यह पूरे स्कूल में पहले नंबर पर ही आते थे।
प्रतापपूरी जी महाराज की पढ़ाई में काफी ज्यादा होशियार भी थे और पढ़ाई में काफी ज्यादा इनकी रूचि भी थी एक बार प्रताप पुरी जी महाराज को ओमानंद महाराज की पुस्तक ब्रह्मचर्य हाथ में लगी, जिससे यह काफी ज्यादा प्रभावित हुए और गुरुकुल में पढ़ाई करने के लिए चले गए।
गुरुकुल के प्रताप पुरी जी महाराज पढ़ाई में काफी ज्यादा ध्यान देते थे और यहीं पर यह लाल बहादुर शास्त्री और विवेकानंद से काफी प्रभावित हुए और इन्होंने भी सोच लिया कि यह देश की सेवा करेंगे और गौ माता की रक्षा करेंगे। गुरुकुल की पढ़ाई पूरी करने के बाद यह वापस तारातरा मठ आ गए।
गुरुजी PratapPuri ji Maharaj को माउंट आबू में पढ़ाई के लिए भेजना चाहते थे परंतु प्रताप पुरी जी महाराज हरियाणा के झज्जर महाविद्यालय में पढ़ने के लिए चले गए। यहाँ बहुत ही कम समय में यह छात्र नेता के रूप में आगे आए तथा खेल में भी काफी ज्यादा रुचि लेने लगे।
प्रताप पुरी जी महाराज का लक्ष्य राष्ट्र की सेवा करना और गौ सेवा करना है।
एक बार प्रताप पुरी जी महाराज कबड्डी का खेल रहे थे तब उन्हें लगा कि यह विपक्ष की टीम को बड़ी आसानी से हरा देंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं, जब ये खेल रहे थे तभी उन्होंने काफी बड़ा जंप लगाया, तो इनका पाव सामने वाले खिलाड़ियों के हाथ के पकड़ में आ गया इस वजह से यह नीचे गिरे और इनके हाथ में चोट आ गई।
चोट आने के बाद अस्पताल आ गए तो वहां पर इंजेक्शन लगा कर बेहोश किया जाना था लेकिन इन्हें इंजेक्शन से भी कोई असर नही हुआ, तभी इन्हें लगा की मेरे गुरु जी का आशीर्वाद मेरे साथ हैं और इन्होंने डॉक्टर से बिना बेहोशी के ही इलाज करने का आग्रह किया, जब डॉक्टर ने हाथ जोड़ने का काम शुरू कर दिया तो PratapPuri ji Maharaj को बिल्कुल भी दर्द नहीं हुआ और यह बिल्कुल स्वस्थ हो गए।
हाथ फैक्चर होने के बाद से ही संत प्रताप पुरी जी महाराज ने खेल में रुचि कम कर दी और राजनीति में आगे आए। इन्होंने 2018 में पोखरण से विधानसभा के चुनाव लड़े, परंतु इसमें से हार हो गई।
वर्तमान समय में महंत प्रताप पुरी जी महाराज हिंदू सनातन धर्म को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं ये राष्ट्र सेवा और गौ सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं।
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A wonderful and insightful post about Maharaj PratapPuri Ji’s life. It’s inspiring to know about his journey and struggles. Thank you for sharing his remarkable story!
A very well written biography of PratapPuri Ji Maharaj. I didnt know much about him before reading this post. Your blog has opened my eyes to such a wonderful life and it’s truly inspiring. Thank you for sharing such a wonderful story
A great effort by the team to share the inspiring life story of PratapPuri Ji Maharaj! His perseverance and dedication to his work are truly an inspiration.