भारत जैसे आध्यात्मिक देश में “वसुधैव कुटुम्बकम्” जो सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा है, इसका अर्थ है-धरती ही परिवार है की भावना से समय-समय धर्म, सँस्कृति की रक्षा के लिए व परोपकार, परमार्थ व जग कल्याण हेतु अनेकों साधु, संत-महात्माओं, ऋषि मुनियों, योगियों, तपस्वियों, महापुरुषों का इस पावन दिव्य धरती पर जन्म(अवतरण) होता आया हैं।
आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज की आयु, जीवनी,शिक्षा-दीक्षा, परिवार, भक्ति मार्ग की ओर के बारे में बताएंगे।
Swami Satyaprakash Ji Maharaj wiki And Bio
पूरा नाम | स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज |
जन्म | 2 फरवरी 1996 |
उम्र | 26 वर्ष (2022 के अनुसार) |
जन्म स्थान | नागौर |
वर्तमान आवास | जोधपुर राजस्थान |
व्यवसाय | संत, कथा वाचक |
धर्म | हिन्दू |
Swami Satyaprakash Ji Maharaj Social Media Accout
Social Media Name | User ID |
swamisatyaprakashji | |
Swami Satyaprakash | |
YouTube | Swami Satyaprakash Ji Maharaj Official |
@satyaprakash_ji | |
Website | https://swamisatyaprakashji.com/ |
Koo App | @swamisatyaprakashji |
9461173233 |
Swami Satyaprakash Ji Maharaj Birth, Place, Family
इसी प्रकार इस परम्परा में संत-महात्माओं व शूरवीरों की पावन पवित्र भक्तिमय धरा, मरूभूमि, मारवाड़ माटी राजस्थान के (मारवाड़) क्षेत्र के नागौर जिले में परम पुज्य श्रद्धेय बाल स्वामी श्री सत्यप्रकाशजी महाराज का जन्म (2 फ़रवरी 1996) सनातन पञ्चाङ्ग के अनुसार विक्रम संवत 2052 बसन्तोत्सव, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दूज को ब्रह्म मुहूर्त की शुभ वेला पर किसान परिवार में आपका जन्म हुआ। बचपन से ही माता-पिता व परमात्मा से आप में अच्छे संस्कार डाले गए थे, बाल्यावस्था से ही आप नशा, कुसंग व विकारों से हमेशा दूर थे ।
केवल भगवान श्री कृष्ण में और उनकी चर्चा, कथा, सत्संग, भजन-कीर्तन में ही स्वामी श्री सत्यप्रकाशजी महाराज की गहन रूचि थी ।
Father ( पिता ) | श्री दलाराम जी |
Mother ( माता ) | श्रीमती झणकारी देवी |
Swami Satyaprakash Ji Maharaj Education, Qualification
प्रारम्भिक शिक्षा नजदीक गाँव में ही हुई, बाद में मात्र 7 साल की अल्पायु में घर-परिवार का त्याग कर संन्यासी जीवन अपना लिया तथा गुरूजी की शरण में (जोधपुर) आ गए ।
बाद में आपने गुरूवर संत श्री राजारामजी महाराज व श्रद्धेय संत श्री कृपारामजी महाराज से संन्यास जीवन की दीक्षा ली, और गुरूदेव ने आपश्री को 6 वर्ष बाद भेख़ (भगवा) दिया। आज आप (स्वामी श्री सत्यप्रकाशजी महाराज) ईश्वर की अनुकम्पा व गुरू कृपा से आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। आपने शास्त्री, योग, संगीत की शिक्षा प्राप्त की है।
स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज का जीवन भक्ति मार्ग की ओर
धीरे-धीरे समय बीतता गया, भक्ति का बीज ह्रदय में अंकुरित होता गया. ठीक इसी प्रकार एक तरह परमात्मा की कृपा से संयोग था कि मारवाड़ माटी के सुप्रसिद्ध गुरूवर संत श्री राजारामजी महाराज व बाल संत श्री कृपारामजी महाराज जगह-जगह कथा, सत्संग, प्रवचन करते हुवे स्वामी सत्यप्रकाशजी महाराज की जन्मभूमि के नजदीक श्रीमद भागवत कथा करने पधारे, आपकी रूचि के अनुसार स्वामी श्री सत्यप्रकाशजी महाराज भी कथा, सत्संग सुनने पधारे और Swami Satyaprakash Ji Maharaj संत कृपाराम जी महाराज की ओजस्वी, अमृतमयी वाणी सुनकर प्रभावित हुए और अमृत वचन सुनकर स्वामी सत्यप्रकाशजी महाराज ने जीवन का सत्य समझ लिया…और गुरूजी के शिष्य बनने व उनके साथ रहने की ठान ली।
इस बात से जब Swami Satyaprakash Ji Maharaj ने माता-पिता से अवगत कराया तो स्वामी सत्यप्रकाशजी महाराज की छोटी उम्र को देखते हुवे माता-पिता ने गुरूजी के साथ जाने से मना कर दिया, फिर स्वामी सत्यप्रकाशजी महाराज अधिक सत्संगी व वैरागी होने के कारण और आपकी कल्याणकारी भावना को देखते हुवे माता-पिता ने हाँ भर ली और एक साल बाद Swami Satyaprakash Ji Maharaj को गुरूजी के साथ रहने की आज्ञा दे दी।
फिर आपने जब सांसारिक माता-पिता के पैर छुए तो माता-पिता का वात्सल्य प्रेम फूट पड़ा और आँखों से अश्रुधारा बह निकली, लेकिन चहरे पर उत्साह का भाव था कि मेरा बेटा संत बनेगा…धन्य हो ऐसे माता-पिता जिन्होंने अपने कलेजे के टुकड़े अपने पुत्र को सनातन धर्म के लिए समर्पित कर दिया और स्वामी सत्यप्रकाशजी महाराज मात्र 7 साल की अल्पायु में घर-परिवार का त्याग कर संत(संन्यास) जीवन अपना लिया, गुरूजी की शरण में (जोधपुर) आ गए ।

बाद में आपने गुरूवर संत श्री राजारामजी महाराज व श्रद्धेय संत श्री कृपारामजी महाराज से संन्यास दीक्षा ली, और गुरूदेव ने Swami Satyaprakash Ji Maharaj को 6 वर्ष बाद भेख़(भगवा) दिया। आज आप ईश्वर की अनुकम्पा व गुरू कृपा से आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। आपश्री निश्वार्थ व जनकल्याण की भावना से श्रीमद भागवत कथा, नैनी बाई रो मायरो, शिव महापुराण, श्री रामकथा, भजन-संध्या, सत्संग-प्रवचन, ध्यान योग शिविर आदि पुनीत कार्य करके जन-जन को लाभान्वित करने का काम कर रहे हैं ।
आध्यात्मिक के साथ-साथ संत श्री कृपारामजी महाराज ने शिक्षा को भी जारी रखा, अभी संत श्री कृपारामजी महाराज संस्कृत साहित्य व हिंदी साहित्य में शास्त्री की योग्यता हासिल कर रहे हैं, उसके बाद आचार्य की डिग्री प्राप्त करेंगे ।
संत श्री कृपारामजी महाराज को सन्तों की अनुभव वाणी, संस्कृत, हिंदी व मारवाड़ी भाषा अति प्रिय हैं।

स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज का उद्देश्य
◆ सनातन(हिन्दू) धर्म संस्कृति, संस्कारों, सभ्यता व परम्पराओं की रक्षा करना व प्रचार प्रसार करना।
◆ कलियुग में अशांति से जूझ रहे लोगों को प्रेम व भक्ति से जोड़ना।
◆ युवा पीढ़ी में शिक्षा व संस्कारों की नई जाग्रति व नारी सशक्तिकरण।
◆ शाकाहार का प्रचार- प्रसार करना और मांसाहार, नशे जैसी कुरूतियों को मिटाना, जागरूकता लाना।
◆ गौरक्षा व पर्यावरण को बचाना।
◆ जात-पांत, ऊँच नीच व भेदभाव की भावना से ऊपर उठकर दीनदुखियों, गरीबों की सेवा और सभी को आपस में जोड़कर धर्म, राष्ट्र हित व मानवता के प्रति मानव समाज को जाग्रत करना।
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स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज कोन है
Swami Satyaprakash Ji Maharaj जनकल्याण की भावना से श्रीमद भागवत कथा, नैनी बाई रो मायरो, शिव महापुराण, श्री रामकथा, भजन-संध्या, सत्संग-प्रवचन, ध्यान योग शिविर आदि पुनीत कार्य करके जन-जन को लाभान्वित करने का काम कर रहे हैं ।
स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज का जन्म कब हुआ
2 फ़रवरी 1996
स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज के गुरु जी का नाम क्या है
स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज का मोबाइल नंबर क्या है
9461173233
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