भगवान श्री देवनारायण जी का जीवन परिचय – Shri Devnarayan ji Biography in Hindi

Shri Devnarayan ji

भगवान श्री देवनारायण राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता शासक तथा महान योद्धा के रूप में जाने जाते हैं भगवान देवनारायण को गुर्जर समाज का आराध्य देव भी माना जाता है Shri Devnarayan ji की पूजा राजस्थान हरियाणा और मध्य प्रदेश में की जाती है भगवान श्री देवनारायण की फड़ राजस्थान की सबसे बड़ी फड़ के रूप में भी जानी जाती है भगवान श्री देवनारायण के पास 98000 पशुशन होने के साथ-साथ 1444 ग्वाले थे जो इनके सैनिक भी हुआ करते थे  28 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भगवान देवनारायण की 1111 जन्म दिन पर मालासेरी डूंगरी भीलवाड़ा आए थे।

देवनारायण भगवान को भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है इनके पास अनेकों प्रकार की सिद्धियां थी इन्होंने समाज में अंधविश्वास तथा सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का काम किया तथा साथ यह पराक्रमी योद्धा भी थे इन्होंने दीन दुखी लोगों की सहायता की।

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आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे भगवान देवनारायण जी की जीवनी के बारे में बताएंगे।

Shri Devnarayan ji Biography in Hindi

पूरा नामदेवनारायण गुर्जर जी
अन्य नामउदयसिंह, देव
जन्म1243 ई. (माघ महीने की शुक्ला पक्ष की छठ)
निवास क्षेत्रराजस्थान, उत्तरप्रदेश, हरियाणा ओर मध्यप्रदेश
जन्म स्थानमालासेरी
त्यौहारदेवनारायण जयंती, मकर सक्रांति एवं देव एकादशी
जातिगुर्जर जाति
धर्महिन्दू

भगवान श्री देवनारायण जी का अवतार और प्रारंभिक जीवन

भगवान श्री देवनारायण के पिता राजा भोज ने दो विवाह किए थे एक उज्जैन के रहने वाले सामंत दूधा खटाना की पुत्री साढू खतानी के साथ और दूसरा कोटपूतली के रहने वाले पदम पोसवाल की पुत्री पदमा से विवाह किया था  इसके आलावा राजस्थान में मारवाड़ के पास गढ़ बुवाल जहाँ के सामांत इडदे सोलंकी की पुत्री जयमती इनसे विवाह करना चाहती थी किंतु जयमती के पिता इनका विवाह राण के राजा दुर्जनसाल के साथ करना चाहते थे। किंतु विवाह की सहमति नहीं होने के कारण राणा दुर्जनसाल और बगड़ावतों के बीच युद्ध हो गया, जिसमें सारे बगड़ावत मारे गए परंतु राणा दुर्जनसाल जयमती से विवाह नहीं कर पाए, क्योंकि जयमती की भी  युद्ध में मृत्यु हो गई। इसी कारण राणा दुर्जनसाल ने सवाई भोज का पूरा वंश खत्म करने की ठान ली।

इसके बाद जब राजा भोज की दूसरी दूसरी पत्नी माता साडू गुजरी जब मालासेरी में अपने पशुपालन  के साथ थी तब उन्हें रात में एक सपना आता है कि भगवान विष्णु स्वयं उनके वहा अवतार लेंगे। इसके बाद माता साडू गुजरी भगवान की भक्ति करती है और प्रसन्न होकर भगवान एक नन्हे बालक के रूप में प्रकट होकर उनकी गोद में खेलने लगते हैं इस तरीके से भगवान देवनारायण का जन्म होता है।

 Shri Devnarayan ji के जन्म के कुछ समय बाद माता साडू गुजरी अपने पुत्र को लेकर अपने गुरु रूपनाथ के वहां जाती हैं तब रूपनाथ उनके चेहरे को देखकर बताते हैं कि यह बालक बड़ा होकर एक महान योद्धा बनेगा और अन्याय के खिलाफ लड़ेगा। बचपन में भगवान श्री देवनारायण का नाम उदय सिंह रखा जाता है लेकिन मालासेरी में रहने की खबर राणा दुर्जन साल को लग चुकी थी इस कारण दुर्जन साल ने तरह तरह के षड्यंत्र करके देवनारायण को मरवाने का प्रयास किया परंतु हर बार वह असफल रहे। उन्होंने कई बार Shri Devnarayan ji को मरवाने के लिए सेना भी भेजी परंतु भगवान के आगे सेना का कुछ भी नहीं चल सका। तरह-तरह के छाले नाकाम होने के बाद भी वह लगातार राजा भोज के वंश को समाप्त करने के बारे में ही सोचता रहता था।

 दुर्जन साल की षड्यंत्र से दूर रखने के लिए माता साडू अपने मायके देवास चली गई। यहीं पर भगवान श्री देवनारायण जी की शिक्षा प्रारंभ हुई उन्होंने हथियार घुड़सवारी तथा शास्त्रों का अध्ययन करना प्रारंभ कर दिया तथा Shri Devnarayan ji ने यहीं पर तंत्र विद्या भी सीख ली और युवावस्था तक यहीं पर रही। एक बार इनके मामा जी ने इनसे इनके राज्य के बारे में बताया कि आपका राज्य गोठा है और आपके पिताजी को राव दुर्जनसाल ने मारा है इस कारण भगवान देवनारायण वापस अपनी माता तथा अपने गो धन  के साथ गोठा के लिए रवाना हो जाते हैं।

भगवान श्री देवनारायण ने गोठा आकर राव दुर्जनसाल को युद्ध की चुनौती दे डाली तथा राव दुर्जनसाल को मारकर अपने पिता का बदला पूरा किया। इसके बाद Shri Devnarayan ji जनकल्याण के कार्यों में लग गए और लोगों की पीड़ा तथा दर्द को दूर करने के लिए अपने जीवन को पूरी तरीके से समर्पित कर दिया।

पिता का नामराजा भोज (सवाई भोज) (वीर भोजा)
माता का नामसाढू खटानी
पत्नी का नामरानी पीपलदे,

भगवान श्री देवनारायण जी के चमत्कार

जन कल्याण के कार्य करते समय उन्होंने कई तरीके के चमत्कार भी दिखाएं, एक बार धार के  राजा जयसिंह की पुत्री पीपलदे काफी ज्यादा बीमार हो गई उनका इलाज कहीं पर भी नहीं हो रहा था तो उन्हें भगवान श्री देवनारायण के पास लाया गया देवनारायण जी ने अपनी सिद्धियों तथा तंत्र विद्या से उन्हें पूरी तरीके से स्वस्थ कर दिया। इसके बाद पीपलदे का विवाह भी देवनारायण जी के साथ हो गया। उन्होंने सूखी नदी में पानी ला दिया तथा सारंग सेट को पुनर्जीवित कर दिया। इसी तरीके के कई चमत्कार Shri Devnarayan ji ने अपने जीवन काल में दिखाएं। उन्होंने लोगों के दुख दर्द को दूर किया और उनके कष्टों का निवारण भी किया तथा समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया। ऐसे ही कार्यों के लिए कई लोग उनके अनुयायी बन गए।

भगवान श्री देवनारायण जी की फड़

भगवान श्री देवनारायण की जीवन गाथा को देवनारायण फड़ के नाम से जाना जाता है यह राजस्थान की सबसे बड़ी फड़ मानी जाती है देवनारायण जी की फड में इनके जीवन के बारे में विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है गुर्जर समाज के लोगों के द्वारा इनके फड़ को  सुंदर तरीके से गाया जाता है और Shri Devnarayan ji के भजनों में भी गाया जाता है।

भगवान श्री देवनारायण जी का निधन

भगवान श्री देवनारायण जी ने मात्र 31 वर्ष की उम्र में अपने प्राण त्याग दिए इन्होंने अपने इतनी छोटी उम्र में भी कई जन कल्याण के कार्य किये तथा लोगों के दुखों को दूर करने का काम किया। इन्होंने अपने शासनकाल में अपनी प्रजा को पीड़ा ना हो ऐसे कार्य किये। जिस दिन भगवान देवनारायण वैकुंठ वासी हुई उस दिन भाद्रपद की शुल्क पक्ष की सप्तमी का दिन था। देवमाली, ब्यावर (अजमेर) में भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को Shri Devnarayan ji ने देह का त्याग किया था इसी कारण प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मेला लगता है।

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मुझे सफल लोगों जीवन के बारे में जानना और लिखना पसंद है तथा इंटरनेट से पैसा कमाना अच्छा लगता है। मैं एक लेखक के साथ-साथ भारतीय YouTuber भी हूँ।

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