हिंदू धर्म में भगवान परशुराम जी को हर कोई जानता है और परशुराम जी के गुस्से के बारे में तो आज आपको कही कहावतों में सुनने को मिल जाएंगे। भगवान परशुराम धर्म शास्त्रों के ज्ञाता तथा विष्णु भगवान के छठे अवतार माने जाते हैं। Parshuram ji Maharaj परशुराम का संबंध त्रेता युग से है तथा इन्हे अमर रहने का वरदान भी प्राप्त है। परशुराम जी के बचपन का नाम राम था और जब धरती से कई राक्षसों का वध किया तो भगवान शिव ने इन्हें एक फरचा दिया इस कारण उनका नाम Parshuram ji Maharaj हो गया।
आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे भगवान परशुराम जी महाराज की जीवनी, जन्म , माता-पिता भाई, जाति, माँ का सिर क्यों काटा इत्यादि के बारे में बताएंगे।
परशुराम जी महाराज का जीवन परिचय [ Parshuram ji Maharaj Biography in Hindi ]
पूरा नाम | भगवान परशुराम जी महाराज |
जन्म | 5142 वि. पू वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया |
जाति | ब्राह्मण |
भगवान परशुराम जी महाराज का जन्म कब और कैसे हुआ
महर्षि भृगु के पुत्र ऋचिक का विवाह राजा गाधि की पुत्री सत्यवती से हुआ था, विवाह के कुछ समय बाद सत्यवती ने अपने ससुरजी महर्षि भृगु से अपने लिए तथा अपनी माता के लिए पुत्र की अर्चना की, तो महर्षि भृगु ने सत्यवती को दो फल देकर कहा कि ऋतु स्नान के बाद तुम गूलर के पेड़ का तथा तुम्हारी माता पीपल के पेड़ का आलिंगन करने के बाद ये फल खा लेना। परन्तु सत्यवती व उनकी मां ने भूल वश गलत वृक्ष का आलिंगन किया, तब यह बात महर्षि भृगु को पता चल गई तो उन्होंने सत्यवती से कहा कि “आपने गलत वृक्ष का आलिंगन किया है।” इसलिए “आपका पुत्र ब्राह्मण होने पर भी क्षत्रिय गुणों वाला रहेगा और आपकी माता का पुत्र क्षत्रिय होने पर भी ब्राह्मणों की तरह आचरण करेगा।” उसके बाद सत्यवती ने महर्षि भृगु से प्रार्थना की कि मेरा पुत्र क्षत्रिय गुणों वाला न हो, लेकिन मेरा पौत्र भले ही ऐसा हो।
महर्षि भृगु ने कहा कि ठीक है ऐसा ही होगा। उसके कुछ समय बाद जमदग्रि मुनि ने सत्यवती के गर्भ से जन्म लिया, इनका आचरण ऋषियों के समान ही था। इनका विवाह रेणुका से हुआ। मुनि जमदग्रि के चार पुत्र हुए, उनमें से परशुराम चौथे थे। इस प्रकार एक भूल के कारण भगवान परशुराम [Parshuram ji Maharaj] का स्वभाव क्षत्रियों के समान हो गया था।
भगवान परशुराम का जन्म 5142 वि. पू वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की रात में प्रथम प्रहर में हुआ था इसलिए परशुराम जयन्ती हर वर्ष अक्षय तृतीया के प्रथम प्रहर में मनाई जाती हैं। इनका जन्म समय सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है।
भगवान परशुराम जी महाराज के माता-पिता तथा भाई नाम
भगवान परशुराम जी के पिता का नाम मुनि जमदग्रि है इनके माता का नाम रेणुका है तथा इनके दादा का नाम महर्षि भृगु ऋषि है। परशुराम जी के चार ओर भाई है जिनके नाम रुमण्वान, सुषेण, वसु, विश्वावसु है परशुराम जी इन पांचो भाइयो में सबसे छोटे थे।
पिता | मुनि जमदग्रि |
माता | रेणुका |
भाई | रुमण्वान, सुषेण, वसु, विश्वावसु |
भगवान परशुराम जी महाराज के नाम का अर्थ
अगर सीधा और सरल भाषा में समझे तो परशुराम शब्द का अर्थ है फरसा लिए हुए भगवान राम।
लेकिन ये नाम कैसे पड़ा इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है [Parshuram ji Maharaj] परशुराम के बचपन का मान राम था लेकिन उसके बाद जब परशुराम ने भगवान महादेव से फरचा प्राप्त हुआ तब से इनका नाम परशुराम पड़ गया। परशुराम नाम दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है परशु अर्थात “कुल्हाड़ी” तथा “राम” इन दो शब्दों को मिलाने पर “कुल्हाड़ी के साथ राम” अर्थ आता हैं।
भगवान परशुराम जी द्वारा 21 बार धरती को क्षत्रिय विहीन करना
भगवान परशुराम ने अपने माता-पिता के अपमान का बदला लेने के लिए 21 बार इस धरती को क्षत्रिय मुख्त कर दिया था। बात ये थी की एक बार राजा सहस्त्रार्जुन ने अपने बल और घमंड के कारण लगातार बहुत ज्यादा ब्राह्राणों और ऋषियों पर अत्याचार कर रहा था। एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी सेना सहित भगवान परशुराम के पिता जमदग्रि मुनि के आश्रम में पहुंचा, जमदग्रि मुनि ने सेना का स्वागत और खान पान की व्यवस्था आश्रम में की, मुनि के आश्रम की चमत्कारी कामधेनु गाय के दूध से समस्त सैनिकों की भूख शांत की गयी। कामधेनु गाय के चमत्कार से प्रभावित होकर राजा सहस्त्रार्जुन के मन में लालच पैदा हो गया, तो राजा सहस्त्रार्जुन ने जमदग्रि मुनि से कामधेनु गाय को बलपूर्वक छीन लिया, जब यह बात परशुराम को पता चली तो उन्होंने राजा सहस्त्रार्जुन का वध कर दिया।
उसके बाद राजा सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने बदला लेने के लिए परशुराम के पिता का वध कर दिया और पति के वियोग में भगवान परशुराम की माता भी सती हो गयीं। उसके कुछ समय बाद में पिता के शरीर पर 21 घाव को देखकर भगवान परशुराम ने शपथ ली कि वह इस धरती से समस्त क्षत्रिय वंशों का संहार कर देंगे। इसके बाद पूरे 21 बार Parshuram ji Maharaj पृथ्वी से क्षत्रियों का विनाश कर अपनी प्रतिज्ञा पूरा भी किया।
भगवान परशुराम जी क्यों कटा अपनी माता का गला
एक बार परशुराम की माँ रेणुका आश्रम के पास नदी में स्नान करने गयी थी। वहां पर उन्होंने राजा चित्ररथ को अन्य अप्सराओं के साथ स्नान करते तथा क्रीड़ा करते हुए देखकर रेणुका का मन भी प्रफुल्लित हो उठा तथा वह उसे देखती रही। जब रेणुका स्नान करके वापस आश्रम लौटी तो उसके हाव भाव बदले हुए थे ऋषि जमदग्नि एक महान तपस्वी थे तो उन्होंने अपने तप के बल पर संपूर्ण बात का पता लगा लिया तथा यह देखकर उन्हें इतना ज्यादा क्रोध आया कि उन्होंने अपने सभी पुत्रो को अपनी माँ का गला काट देने का आदेश दे दिया, लेकिन परशुराम से बड़े चारो पुत्रों ने अपनी माँ के प्रेम में ऐसा नही कर पाये।
इसके पश्चात ऋषि जमदग्नि ने परशुराम से अपनी माँ रेणुका का मस्तक धड़ से करने का आदेश दिया, पिता का आदेश मिलते ही परशुराम [Parshuram ji Maharaj] ने बिना देर किये अपनी माँ का सिर धड़ से अलग कर दिया, देखते ही देखते लहू की धारा फूट पड़ी तथा उनकी माँ की मृत्यु हो गयी।
यह देखकर परशुराम के पिता जमदग्नि अत्यधिक प्रसन्न हुए तथा परशुराम जी से स्नेहपूर्वक वरदान मांगने को कहा तब परशुराम ने समझदारी से काम लेते हुए अपने पिता से तीन वरदान मांगे।
- पहले वर में उन्होंने अपनी माँ को पुनः जीवित करने को कहा
- दूसरे वर में उन्होंने माँगा कि उनकी माँ को इस चीज़ की स्मृति न रहे
- तीसरे वर में उन्होंने अपने तीनो भाइयों का विवेक व बुद्धि मांग ली।
ऋषि जमदग्नि अपने पुत्र परशुराम की समझदारी से बहुत प्रसन्न हुए तथा उन्होंने उसे तीनों वर प्रदान कर दिए। भगवान परशुराम जी ने अपनी माँ रेणुका को पुनः जीवित तो करवा लिया था लेकिन उनको मातृ हत्या का पाप लग चुका था, इससे मुक्ति पाने के लिए Parshuram ji Maharaj ने भगवान महादेव की कठोर तपस्या की तथा मातृ हत्या के पाप से मुक्ति पायी।
भगवान परशुराम जी की मृत्यु कब हुई थी?
जिस प्रकार भगवान श्री राम, भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं, उसी प्रकार परशुराम भी विष्णु के अवतार माने जाते हैं। हिन्दु धर्मशास्त्रो मुताबिक अश्वत्थामा, राजा बलि, महर्षि वेदव्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, भगवान परशुराम एवं ऋषि मार्कण्डेय अमर हैं जिन्हे आज भी अजर-अमर माना जाता है इन्हे अष्टचिरंजीवी भी कहा जाता है। इनमें से एक भगवान विष्णु के अवतार परशुराम भी हैं। माना जाता है कि भगवान परशुराम आज भी तपस्या में लीन हैं।
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भगवान परशुराम जी कौन थे?
भगवान परशुराम धर्म शास्त्रों के ज्ञाता तथा विष्णु भगवान के छठे अवतार माने जाते हैं। Parshuram ji Maharaj परशुराम का संबंध त्रेता युग से है तथा इन्हे अमर रहने का वरदान भी प्राप्त है।
भगवान परशुराम जी को परचा कैसे मिला ?
परशुराम जी के बचपन का नाम राम था और जब धरती से कई राक्षसों का वध किया तो भगवान शिव ने इन्हें एक फरचा दिया इस कारण उनका नाम Parshuram ji Maharaj हो गया।
परशुराम का असली नाम क्या था?
महाभारत और विष्णुपुराण के अनुसार परशुराम जी का मूल नाम राम था किन्तु जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम जी हो गया।
परशुराम का वध कैसे हुआ?
परशुराम को अमरता का वरदान प्राप्त था जिस कारण ये आज भी अमर है।
परशुराम की माँ को क्यों मारा?
परशुराम ने अपनी मां को पिता जमदग्नि रिषि के आदेश के कारण मारा था पर जब मां के उपर से पिता संदेह का निराकरण हो गया
परशुराम की मृत्यु कैसे हुई
परशुराम को अमरता का वरदान प्राप्त था जिस कारण ये आज भी अमर है।
परशुराम की आयु कितनी थी
वर्तमान शोधकर्ताओं के द्वारा रामायण के आधार पर किए गए शोधानुसार श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था तब से लेकर आज तक ये जीवित है।
परशुराम किस जाति के थे
वे एक ब्राह्मण के रूप में जन्में अवश्य थे लेकिन कर्म से एक क्षत्रिय थे।
परशुराम के माता-पिता कौन थे
भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे
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