संत भादरिया जी महाराज जीवन-परिचय | ant bhadaria ji maharaj life introduction

sant bhadaria ji maharaj

Sant Bhadariya ji Maharaj Biography And Wiki

Full Name ( पूरा नाम )संत हरवंशसिंह निर्मल
NickName ( निक नाम )संत भादरिया जी महाराज
Birth ( जन्म )1930
BirthPlace ( जन्म स्थान )जिला फिरोज पंजाब
Mausoleum ( समाधी )15 फ़रवरी 2010

Sant Bhadariya ji Maharaj Biography

भारत में आपने कई ऐसे संत महात्माओं को देखा होगा, जिन्होंने अपने पूरे जीवन को भक्ति और  राष्ट्र के नाम समर्पित कर दिया, मैंने भी ऐसे कई सारे संत महात्माओं को देखा है जिन्होंने पिछड़े वर्ग को ऊपर उठाने का काम किया तथा राष्ट्र को हमेशा आगे ले जाने के बारे में कार्य किया।  लेकिन जब मैं  संत महात्माओं के बारे में जानकारी हासिल कर रहा था तब मेरे सामने एक ऐसे संत का नाम आया जिनके जीवन के बारे में पढ़ने के बाद मुझे लगा कि वाकई में  इन्होंने मानव सेवा तथा विश्व कल्याण के लिए अपने आप को पूरी तरीके से समर्पित किया, ऐसे संत का नाम है भादरिया जी महाराज जिन्हे लोग संत हरवंशसिंह निर्मल के नाम से भी जानते हैं। 

आज जब आप इस पोस्ट को पढ़ेंगे तब आपको लगेगा वाकई में संत भादरिया जी महाराज ने अपने आपको गौ सेवा, शिक्षा एवं पर्यावरण सुरक्षा के लिए खुद को किस हद तक समर्पित कर दिया। 

दोस्तों जब मैं संत भादरिया जी महाराज के जीवन के बारे में जानकारी इक्कठा करने लगा, तब मेरे सामने कुछ ऐसी चीजें निकल कर आ रही थी जिसे पढ़ने के बाद मुझे लगा कि वाकई में इनसे बढ़कर कोई बड़ा संत हो ही नहीं सकता, जिसने थार के रेगिस्तान में रेत के टीलों के बीच में एक ऐसे ज्ञान की गंगा को बहाया जिसकी चर्चा आज भारत में नहीं बल्कि पूरे विश्व में की जाती है।   
आज हम इस पोस्ट में Sant Bhadariya ji Maharaj के द्वारा चलाई गई मुहिम जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी थार के रेगिस्तान में स्थापित करना तथा 44,000 से ज्यादा गोवंश की एक गौशाला को चलाना तथा पर्यावरण और नशा मुक्ति से संबंधित चलाए गए अभियान के बारे में इस पोस्ट में आपको बताऊंगा और संत भादरिया जी महाराज की जीवनी के बारे में भी आपको बताने की कोशिश करूंगा।

Sant Bhadariya ji Maharaj Birth, Place, Family

संत हरवंशसिंह निर्मल  उर्फ भादरिया जी महाराज का जन्म 1930 में पंजाब प्रांत के फिरोज जिले में हुआ।  जब संत हरवंशसिंह निर्मल 30 वर्ष की उम्र में सन्यास का मार्ग अपनाकर जैसलमेर जिले के भादरिया पहुंचे, तब इन्हें यहां पर साक्षात भादरिया माता ने दर्शन दिए उसके बाद से इन्होंने अपना नाम संत हरिवंश सिंह निर्मल से संत भादरिया महाराज कर लिया। Sant Bhadariya ji Maharaj ने अपने  परिवार के बारे में कभी किसी को ज्यादा जानकारी नहीं दी परंतु जितनी जानकारी उनके द्वारा तथा उनके भक्तों के द्वारा हमें प्राप्त हुई है उन्ही जानकारी को आज हम आपके साथ प्रस्तुत करेंगे। 

महाराज श्री के कई जन कल्याण  के कार्य करने के बाद संत भादरिया जी महाराज  का देवलोकगमन 15 फरवरी 2010 को हो गया। आज संत भादरिया जी महाराज का भव्य मंदिर भादरिया में बना हुआ है। इनके मंदिर के पास ही भादरियाराय माता का विशाल भव्य मंदिर है जो एक शक्तिपीठ के रूप में भाटियो की कुलदेवी है। 

mqdefault

Sant Bhadariya ji Maharaj jivani

संत भादरिया जी महाराज  30 वर्ष की उम्र में सन्यासी के रूप में 1960 में पंजाब के फिरोज जिले से राजस्थान के जैसलमेर जिले में भादरिया राय माता मंदिर आए तब कई लोगों का मानना है कि यहां पर साक्षात्कार भादरिया माता के दर्शन हुए तथा कई लोगों का यह मानना भी है कि इन्हें यहां पर एक अलौकिक अध्यात्मिक शक्ति की अनुभूति हुई, जिस कारण यह यहीं पर रह गए। 

 संत भादरिया जी महाराज ने 9 वर्ष तक भादरिया में ही गुफा में रहकर भक्ति साधना की तथा ज्ञान अर्जित करने में अपना समय बिताया।

संत भादरिया जी ने एशिया की सबसे बड़ी भूमिगत लाइब्रेरी बनाई

वैसे तो बहुत सारे लोगों को पता है कि राजस्थान के जैसलमेर जिले में भादरिया गांव एशिया की सबसे बड़ी भूमिगत लाइब्रेरी के लिए जाना जाता है और यह सच्चाई भी है क्योंकि यहां पर मौजूद लाइब्रेरी एशिया की सबसे बड़ी भूमिगत लाइब्रेरी भी मानी जाती है लेकिन इस लाइब्रेरी को बनाने में Sant Bhadariya ji Maharaj ने कड़ी मेहनत की है तब जाकर आज रेत के टीलों के बीच में हमें अथाह ज्ञान का सागर देखने को मिलता है। 

bhadariya library

संत भादरिया जी महाराज ने पूरे विश्व के सभी प्रकार के ज्ञान को एक ही छत के नीचे लाने के लिए 21 अप्रैल 1981 को भादरिया राय लाइब्रेरी  की नींव रखी, लाइब्रेरी 15 वर्ष बाद 1998 में बनकर पूरी तरीके से तैयार हुई, लाइब्रेरी के अंदर 9  लाख के करीब पुस्तकें रखी गई है जिनकी कीमत ₹16 करोड़ से ज्यादा आकी गई है। 

इस लाइब्रेरी में आपको दुनिया के सभी ग्रंथों से लेकर नोवेल, पांडुलिपि और भारत के सभी प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति के भाषणों को सुरक्षित रखा गया है इस लाइब्रेरी में  विश्व में मौजूद 11 धर्मों में से 7 धर्मों का पूरा साहित्य मौजूद है हजारों साल पुरानी पांडुलिपि के साथ कानून से संबंधित सभी पुस्तकें आपको देखने को मिल जाएगी।   आपको यहां पर वेदों की संपूर्ण श्रृंखला, भारत का संविधान, पुराण, आयुर्वेद, इतिहास, स्मृतियां, उपनिषद जैसी सभी पुस्तकें पढ़ने तथा देखने को मिल जाती है। 

 जैसलमेर जिले के भादरिया में बनी यह लाइब्रेरी करीब 16 से 18 फीट जमीन के अंदर बनी है इसमें में एक साथ 5000 से ज्यादा लोग बैठ कर पढ़ सकते हैं इस लाइब्रेरी में 562 अलमारियां 16000 रैंक तथा 18 कमरे हैं यहां पर हर 5 महीने में सभी पुस्तकों पर एक विशेष प्रकार का लेप लगाया जाता है तथा पुस्तकों की साफ सफाई भी की जाती है ताकि यह पुस्तकें हमेशा के लिए सुरक्षित रहें। 
 इस लाइब्रेरी के लिए संत भादरिया जी महाराज द्वारा जगदंबा सेवा समिति की स्थापना भी की गई। 

bhadariya library

संत भादरिया जी महाराज द्वारा गौशाला चलना

1964 में इस समय भादरिया जी महाराज ने भादरिया मंदिर को अपनी कर्मभूमि बनाया तब भारत पाकिस्तान के बीच गौ तस्करी काफी ज्यादा होती थी क्योंकि उस समय भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर तारबंदी का कोई प्रबंध नहीं था जिस कारण बहुत बड़ी गौ तस्करी हुआ करती थी और इन घटनाओं को यह अपनी आंखों से देख देखकर काफी ज्यादा दुखी हुए तब इन्होंने अपने मन में संकल्प लिया तथा कुछ दानदाताओं से दान लेकर गौशाला की शुरुआत कर दी। वर्तमान समय में यहां पर 44,000 से भी ज्यादा गोवंश है जिनके सारे पानी तथा ओरण की सुविधा उपलब्ध है। विश्व की सबसे बड़ी गौशाला मे से एक है। 60,000 एकड़ में फैली हुई है।

इनके आलावा Sant Bhadaria ji Maharaj ने पौधरोपण, पर्यावरण सुरक्षा और नशा मुक्ति के भी कई अभियान चलाये। इन्होने नशा मुक्ति के लिए ग्रामीणों से नशा मुक्ति के शपत पत्र भी भरवाए। 

भादरियाराय आने का मार्ग

दोस्तों अब बहुत सारे लोगों के मन में यह सवाल जरूर होगा कि हम भादरिया राय माता मंदिर कैसे जा सकते हैं हमें भी एक ऐसी ज्ञान की अथाह सागर को अपनी आंखों से देखना है तो कैसे हम यहां तक पहुंच सकते हैं?

 इसके लिए दोस्तों आपको राजस्थान के जैसलमेर जिले में जाना पड़ेगा, भादरिया राय माता का मंदिर जैसलमेर  जोधपुर रोड पर जोधपुर से  220 किलोमीटर दूर लाठी गांव से उत्तर दिशा में पड़ता है अगर आप कभी रामदेवरा जाते हैं तो वहां से 55 किलोमीटर दूर भादरिया राय मंदिर पड़ता है और यहीं पर पास में भारत का परमाणु परीक्षण स्थल पोकरण भी है।

आपको हमारे द्वारा लिखी गयी Sant Bhadariya ji Maharaj Biography in Hindi  पोस्ट अच्छी लगी हो तो, आप हमारे Hindi Biography 2021 वेबसाइट की सदस्यता लेने के लिए Right Side मे दिखाई देने वाले Bell Icon को दबाकर Subscribe जरूर करे। 

ये भी पढे :-

कोराना की सटीक भविष्यवाणी करने वाले जोधपुर के संत श्री राजाराम जी महाराज की कहानी

अपने मंत्र से रेलगाड़ी को रोकने वाले संत खेताराम जी महाराज की कहानी

Previous articleश्री 1008 श्री किशनाराम जी महाराज जीवनी – Shri Kishnaram Ji Maharaj Jivani
Next articleअमरेश भारती जीवन-परिचय | Youtuber Amresh Bharti Biography in Hindi
मुझे सफल लोगों जीवन के बारे में जानना और लिखना पसंद है तथा इंटरनेट से पैसा कमाना अच्छा लगता है। मैं एक लेखक के साथ-साथ भारतीय YouTuber भी हूँ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here