राजस्थान के प्रसिद्ध कवि पदम श्री एवं राजस्थान रत्न से सम्मानित कन्हैयालाल सेठिया के जीवन परिचय के बारे में आज की इस पोस्ट में हम बताएंगे। आज के इस पोस्ट में हम आपको Kanhaiyalal Sethia Biography, family, Education, Career की शुरूआत के बारे में बताने वाले हैं।
Kanhaiyalal Sethia Biography And Wiki
Full Name | Kanhaiyalal Sethia |
Nick Name | |
Profession | Writer, Poet |
Date Of Birth | 11 September 1919 |
Birth Place | Sujangarh, Churu |
Date of Death | 11 November 2008 |
Father | Chhagan Mal Sethia |
Mother | Manohari Devi |
College Name | Kolkata University, Scottish Church College |
Education | B.A. |
Popular creations | धरती धोरा री और पाथल और पीथल |
Wife | Mrs. Dhapu Devi |
Children | Two sons – Jayaprakash and Vinay Prakash One daughter Shrimati Sampat Devi Dugad |
Religion | Hindu |
Nationality | Indian |
Wikipedia | कन्हैयालाल सेठिया Kanhaiyalal Sethia |
कन्हैयालाल सेठिया जीवन परिचय
राजस्थान के भीष्म पितामह कहे जाने वाले कन्हैयालाल सेठिया भारत के स्वतंत्रता सेनानी तथा राजस्थान की संस्कृति को देश-विदेश में पहुंचाने का काम किया। कन्हैयालाल सेठिया राजस्थान और मायड भाषा के एक महान रचनाकार होने के साथ-साथ समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, परोपकार और पर्यावरणविद भी थे।
इनकी सबसे प्रसिद्ध काव्य रचना पीथल और पाथल तथा धरती धोरा री है जो राजस्थान के छोटे बच्चे से लेकर बड़े बूढ़े सभी के जुबान पर हमेशा रहती है।
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कन्हैया लाल सेठिया को अपने गीत और कहानियों के कारण कई उपलब्धियों से नवाजा गया है कन्हैया लाल सेठिया को 2004 में पदम श्री और साहित्य अकादमी पुरस्कार पता 1988 में ज्ञानपीठ के मूर्ति देवी साहित्य पुरस्कार से नवाजा गया।
आजाद भारत से पहले उन्होंने अपनी कविताओं से अंग्रेजी शासन को ललकारा करते थे इस कारण इन पर कई बार राजद्रोह के केस लगा कर जेल में भी जाना पड़ता था। यह बीकानेर प्रजामंडल की सदस्य भी रहे और भारत छोड़ो आंदोलन के समय में कराची में इन्होंने कई जनसभाओं को संबोधित किया और लोगों को आजादी के लिए एकजुट होकर अंग्रेजी सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए जाग्रत किया।
कन्हैयालाल सेठिया जन्म, परिवार, शिक्षा
कन्हैया लाल सेठिया का जन्म 11 सितंबर 1919 को राजस्थान के चुरू जिले के सुजानगढ़ शहर में हुआ था इनके पिता का नाम स्वर्गीय छगनमल सेठिया थे इनकी माता का नाम स्वर्गीय मनोहरी देवी थी। कन्हैया लाल सेठिया का विवाह 1937 में श्रीमती धापू देवी हुआ। कन्हैया लाल सेठिया के 2 पुत्र हैं जिनका नाम जयप्रकाश और विनयप्रकाश तथा इनकी एक पुत्री श्रीमती संपत देवी है ।
कन्हैयालाल सेठिया की पिताजी एक व्यापारी थे तथा यह व्यापारी घर आने से होने के बावजूद भी अपने साहित्य के क्षेत्र से जुड़े हुए रहे
कन्हैयालाल सेठिया की मृत्यु 11 नवंबर 2008 को कोलकाता में हुई
कन्हैया लाल सेठिया ने अपने B.A. की पढ़ाई कोलकाता विश्वविद्यालय से की तथा स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के कारण बीच में इनकी पढ़ाई कुछ समय के लिए बाधित हो गई, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पढ़ाई राजस्थान विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि ली। इनके सबसे पसंदीदा विषय दर्शन राजनीति और साहित्य थे।
कन्हैयालाल सेठिया कैरियर
कन्हैया लाल सेठिया बचपन से ही साहित्य के क्षेत्र में काफी ज्यादा रुचि लेते थे इन्होंने बचपन से ही देश के प्रति समर्पित, जनजागृति, पिछड़े वर्ग को आगे लाने में और राष्ट्रहित में अपनी कहानियों और कविताओं को लिखना शुरू कर दिया था इन्होंने अपने पढ़ाई के समय में ही स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेना भी शुरू कर दिया इसके कारण बीच में इनकी पढ़ाई भी कुछ समय के लिए रुक गई थी।
कन्हैया लाल सेठिया ने अपने कहानियों और कविताओं को हिंदी राजस्थानी और उर्दू भाषा में लिखना शुरू किया तीनों ही भाषाओं में उन्हें बखूबी से अपनी कृतियों को लिखा, इनकी कविताए आमजन की जुबान पर इस तरह चिपक गई कि लोग दिन-रात इनके द्वारा लिखी गई कविताएं और गीत गाते रहते थे क्योंकि इनकी सारी कविताएं देश प्रेम से जुड़ी हुई थी और राष्ट्र को समर्पित थी।
कन्हैयालाल सेठिया की 1934 में महात्मा गांधी से भेंट हुई उसके बाद इन्होंने अपने शरीर पर खादी धारण करना शुरू कर दिया और पिछड़े वर्ग की मदद करने में आगे आए, सेठिया ने हरिजनों की सेवा और उत्थान के लिए कार्य किए, हरिजनो के बच्चों की शिक्षा के लिए उन्होंने एक स्कूल की भी स्थापना की
कन्हैया लाल सेठिया ने सामंतवाद के खिलाफ जबरदस्त मुहिम चलाई, जिसमें इन्होंने पिछड़े वर्ग को आगे लाने में खूब कोशिश की। कन्हैया लाल सेठिया महात्मा गांधीजी से काफी ज्यादा प्रभावित थे जब 1942 में महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा देकर अहान किया तब कन्हैया लाल सेठिया ने बीकानेर प्रजामंडल से लोगों में जनजागृति चलाई और गांधी जी का साथ दिया, इसी समय उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला कर जेल में भी डाल दिया गया ।
1942 में जब भारत छोड़ो आंदोल की शुरुआत हुई तब यह लाहोर में थे और वहां पर लोगों में अंग्रेजी शासन के प्रति जागृति पैदा करने का काम किया।
कन्हैयालाल सेठिया की अब तक हिंदी में 18 पुस्तकें उर्दू में 2 और राजस्थानी में 14 पुस्तक का प्रकाशन हो चुका है। कन्हैयालाल सेठिया की कई रचनाएं आज भी अप्रकाशित है जो कहीं ना कहीं इधर-उधर पत्र-पत्रिकाओं में बिखरी हुई पड़ी है इनकी कई रचनाओं को विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है
कन्हैयालाल सेठिया उपलब्धि
कन्हैया लाल सेठिया को अपनी कविताओं और कहानियों की बदौलत कई सारी उपलब्धियां हासिल है तथा साहित्य के क्षेत्र कई सारे अवार्ड और पुरस्कार प्राप्त है।
कन्हैया लाल सेठिया को 1988 मे ज्ञानपीठ के श्री मूर्ति देवी साहित्य पुरस्कार से भी नवाजा गया तथा वर्ष 2004 में पदम श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया।
1969 में हैदराबाद में राजस्थानी समाज द्वारा इनको मायड़ भाषा को जीवित रखने के लिए सम्मानित किया गया। 1992 में राजस्थान सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानी की लिए ताम्रपत्र दिया गया।
राजस्थानी कविता के महान सम्राट सेठिया को मृत्यु-प्रांत 31 मार्च 2012 को राजस्थान रत्न सम्मान देने की घोषणा भी की गयी है।
इनको अपनी कविता और रचनाओं के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के सैकड़ों पुरस्कार प्रदान किए गए हैं जिनके यह हकदार भी हैं ऐसे कवि या लेखक बहुत ही कम हुए हैं जिन्होंने उनके जैसी कृतियां जनमानस के लिए लिखी, जो जनमानस की जुबान पर हमेशा रहती हैं।
कन्हैयालाल सेठिया की कृतियाँ है:-
राजस्थानी
रमणियां रा सोरठा , पीथल और पाथल, गळगचिया , मींझर , कूंकंऊ , लीलटांस , धर कूंचा धर मंजळां , मायड़ रो हेलो , सबद , सतवाणी , अघरीकाळ, लीकलकोळिया एवं हेमाणी
हिन्दी
वनफूल , अग्णिवीणा , मेरा युग , दीप किरण , प्रतिबिम्ब , आज हिमालय बोला, खुली खिड़कियां चौड़े रास्ते , प्रणाम , मर्म , अनाम, स्वागत , देह-विदेह , आकाशा गंगा , वामन विराट, निष्पति एवं त्रयी ।
उर्दू
ताजमहल एवं गुलचीं
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